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कर्नाटक के बाद भारतीय जनता पार्टी अब मध्य प्रदेश को भी अपने हाथ में लेना चाहती है, जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी में उच्च स्तरीय बैठक भी चल रही हैं और लगातार यह प्रयास है कि कैसे भी करके कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल करा लिया जाए। कुछ हद तक भारतीय जनता पार्टी कामयाब रही है लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी राजनीति से कोई कच्चे खिलाड़ी नहीं है, उनकी राजनीति इंदिरा गांधी से प्रेरित रही है और उन्होंने अपने तरीके से भाजपा की चाल को नाकाम कर दिया है।
94 विधायक मौके पर मौजूद:
फ्लोर टेस्ट पर जाने से पहले कमलनाथ ने बड़ी चाल चलते हुए अपने सभी विधायकों को मुख्यमंत्री आवास पर तत्कालीन बैठक के लिए बुलाया, जिसमें उनके 94 विधायक मौके पर मौजूद रहे, एक विधायक की तबीयत खराब होने की खबर सामने आई।
बाकी के विधायक अभी भी लापता हैं लेकिन कमलनाथ का कहना है कि जल्द ही उनके पाले में अन्य विधायक वापस लौट आएंगे क्योंकि उनकी विचारधारा कांग्रेस से जुड़ी है और वह ज्यादा दिनों तक कांग्रेस से दूर नहीं रह पाएंगे।
कांग्रेस को बहुमत:
कांग्रेस के विधायक, कांग्रेस व कमलनाथ के साथ हैं। विधानसभा में कांग्रेस बहुमत साबित करेगी। आपको बताते जाए कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं। जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने दावा किया है कि सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। कांग्रेस को बहुमत हासिल है। राज्य की कमल नाथ सरकार पर संकट के बादल हालांकि छाए हुए हैं, क्योंकि बाहरी समर्थन से चलने वाली सरकार के 19 विधायकों का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष एन.पी. प्रजापति को भेजा गया है। कांग्रेस में सियासी संकट से कैसे निपटा जाए, इस पर मंथन से चल रहा है।
कोई खतरा नहीं:
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव का दावा है कि कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नहीं है, सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सभी विधायक सामूहिक इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं। वहीं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से बतौर प्रतिनिधि भोपाल पहुंचे राष्ट्रीय सचिव सुधांशु त्रिपाठी पार्टी हाईकमान का प्रस्ताव भी बैठक के दौरान रख सकते हैं।